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Paddy groth tips: अधिक पानी देकर खतरे में डाल रहे किसान धान की फसल, यहां जानिए पानी देने का सही तरीका

खेतों में पानी का सही तरीके से प्रबंधन किया जाता है, उनमें धान की फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बेहतर होती हैं

Paddy groth tips: अधिक पानी देकर खतरे में डाल रहे किसान धान की फसल, यहां जानिए पानी देने का सही तरीका

 

अगर खेत में पानी का सही प्रबंधन किया जाए, तो धान की उपज में वृद्धि हो सकती है. प्रो. सुनील कुमारने बताया कि जिन खेतों में पानी का सही तरीके से प्रबंधन किया जाता है, उनमें धान की फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बेहतर होती हैं. इसके अलावा, इससे किसानों को पानी की बचत भी होती है, जो लंबी अवधि में फायदेमंद साबित होती है.

धान की खेती करने वाले किसान अक्सर यह मानते हैं कि फसल के बेहतर विकास के लिए खेत में अधिक पानी भरना जरूरी है। इस कारण कई किसान धान के खेत में पानी का स्तर पौधों के अंतिम टॉप तक बनाए रखते हैं। लेकिन क्या वास्तव में यह सही है? कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि धान की फसल में पानी का अत्यधिक उपयोग फायदेमंद नहीं, बल्कि हानिकारक हो सकता है। बिहार के प्रमुख कृषि विशेषज्ञ प्रो. सुनील कुमार ने इस विषय पर गहराई से जानकारी दी है और बताया है कि किस प्रकार सही तरीके से पानी का प्रबंधन कर धान की बेहतर उपज प्राप्त की जा सकती है।

अत्यधिक पानी का प्रभाव
प्रो. सुनील कुमार के अनुसार, धान के खेत में पानी का स्तर नियंत्रित रखना अत्यंत आवश्यक है। जरूरत से ज्यादा पानी भरने पर पौधों की जड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे पौधे कमजोर होकर मर सकते हैं।

 

पानी के सही प्रबंधन के तरीके

पानी का स्तर बनाए रखना
धान के खेत में पानी का स्तर 5 सेंटीमीटर तक बनाए रखें। इससे पौधों को नमी मिलेगी, और जड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन भी प्राप्त हो सकेगी। खेत को कुछ समय तक पानी से भरने के बाद सूखा छोड़ने से मिट्टी में ऑक्सीजन का स्तर बना रहता है और जड़ों का विकास बेहतर होता है। खेत में अतिरिक्त पानी की निकासी के लिए उचित प्रबंध करें। इससे पानी का ठहराव नहीं होगा और फसल को नुकसान नहीं पहुंचेगा।

मिट्टी की नमी की जांच
सिंचाई से पहले और बाद में मिट्टी की नमी की स्थिति का ध्यान रखना आवश्यक है। इससे पौधों को सही मात्रा में पानी मिल सकेगा। सही पानी प्रबंधन से धान की उपज में वृद्धि हो सकती है। जिन खेतों में पानी का सही तरीके से प्रबंधन किया जाता है, वहां धान की फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बेहतर होती हैं। इसके अलावा, इससे किसानों को पानी की बचत भी होती है, जो लंबी अवधि में फायदेमंद साबित होती है।

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